Satyarth Prakash

100

यह लघु पुस्तिका मूलरूप से ‘ब्राह्मणोऽस्य मखमासीद…’ वेद- मन्त्र पर आधारित है। इसमें महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा कृत भाष्य की आधिभौतिक दृष्टि से व्याख्या भी की गयी है। इसके साथ ही वर्ण-व्यवस्था पर उठने वाली अनेक शंकाओं का समाधान भी इस पुस्तक में किया गया है। पुस्तक के अन्त में आरक्षण, जातिवाद व निर्धनता का स्थायी एवं सर्वोत्तम समाधान दिया गया है।

SKU: TVSP20 Category:

Description

सत्यार्थ प्रकाश आर्य समाज का प्रमुख ग्रन्थ है, जिसकी रचना महर्षि दयानन्द सरस्वती ने १८७५ ई में हिन्दी में की थी। ग्रन्थ की रचना का कार्य स्वामी जी ने उदयपुर में किया। लेखन-स्थल पर वर्तमान में सत्यार्थ प्रकाश भवन बना है। प्रथम संस्करण का प्रकाशन अजमेर में हुआ था। उन्होने १८८२ ई में इसका दूसरा संशोधित संस्करण निकाला। अब तक इसके २० से अधिक संस्करण अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। सत्यार्थ प्रकाश की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था। इसके साथ-साथ इसमें ईसाई, इस्लाम एवं अन्य कई पन्थों व मतों का खण्डन भी है। उस समय हिन्दू शास्त्रों का गलत अर्थ निकाल कर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने का षड्यन्त्र भी चल रहा था। इसी को ध्यान में रखकर महर्षि दयानन्द ने इसका नाम सत्यार्थ प्रकाश (सत्य+अर्थ+प्रकाश) अर्थात् सही अर्थ पर प्रकाश डालने वाला (ग्रन्थ) रखा।

Additional information

Weight 550 g
Dimensions 18 × 24 × 8 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Satyarth Prakash”